गांधीजी के विचार हर युग में प्रासंगिक। “शहीद दिवस’’ पर महात्मा गांधी जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि।
गांधी जी ने वर्षों पहले ही नदियों में बढ़ती गंदगी पर चर्चा करते हुए लिखा था, “आधुनिक व्यस्त जीवन में तो हमारे लिये इन नदियों का मुख्य उपयोग यही है कि हम उनमें गंदी नालियाँ छोड़ते हैं और माल से भरी नौकाएं चलाते हैं। हम इन कार्यों से नदियों को मलिन से मलिनतर बनाते चले जा रहे हैं।”
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परम अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और विख्यात कथावाचक भाईश्री रमेश भाई ओझा जी की स्नेहिल भेंटवार्ता हुई।
पूज्य स्वामी जी और पूज्य भाईश्री ने पोरबंदर की धरती से महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। भाईश्री ने पूज्य स्वामी जी को महात्मा गांधी जी की जन्मभूमि पोरबंदर, सुदामा पुरी आने के लिये आमंत्रित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महात्मा गांधी जी की जन्मभूमि पोरबंदर की धरती सुदामापुरी के निवासी सांदीपनी गुरूकुल के संस्थापक भाईश्री ने रामायण व भगवत गीता के माध्यम से पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर विश्वशांति का अद्भुत संदेश दिया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचार सदैव प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने विचारों से भारतीय संस्कृति और सभ्यता की श्रेष्ठता, संपूर्णता और उत्कृष्टता को प्रस्तुत करने के साथ ही जीवन में भी उतारा। गांधीजी के सत्य, अहिंसा, करुणा और शांति के दृष्टिकोण ने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामी जी ने कहा कि भारतीय सभ्यता, दर्शन और मानवता युक्त व्यवहार आत्मिक उन्नयन का संदेश देता है, महात्मा गांधी जी ने मानवजीवन के विकास का सरल मार्ग दिखाया।
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने गांधी के बारे लिखा है कि, “गांधी है कल्पना जगत के अगले युग की, गांधी मानवता का अगला उद्विकास है”। गांधी जी ने दलित, शोषित व पीड़ित समुदायों के लिए आवाज़ उठाई और उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने का मार्ग दिखाया। गांधी जी ने ’सर्वधर्म समभाव’ का संदेश दिया जो वैश्विक सद्भावना के लिए आवश्यक है, गांधीजी का विचार वर्तमान युग में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के रूप में साकार होते दिखायी दे रहे हैं।
स्वामी जी ने कहा कि गांधी जी स्वच्छता को स्वतंत्रता से भी अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे। वर्तमान समय में देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी जी ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से गांधी जी के विचारों को प्रत्यक्ष करके दिखाया है। गांधी जी ने वर्षों पहले ही नदियों में बढ़ती गंदगी पर चर्चा करते हुए लिखा था, “आधुनिक व्यस्त जीवन में तो हमारे लिये इन नदियों का मुख्य उपयोग यही है कि हम उनमें गंदी नालियाँ छोड़ते हैं और माल से भरी नौकाएं चलाते हैं। हम इन कार्यों से नदियों को मलिन से मलिनतर बनाते चले जा रहे हैं।”
उन्होंने पर्यावरण के प्रति भी हम सभी को सचेत किया था कि “ऐसा समय आएगा जब अपनी ज़रूरतों को कई गुना बढ़ाने की अंधी दौड़ में लगे लोग अपने किए को देखेंगे और कहेंगे, ये हमने क्या किया?” गांधी जी का पर्यायवरणशास्त्र भी अद्भुत था “धरती के पास सभी की ज़रूरतों को पूरा करने लिये पर्याप्त है, किंतु किसी के लालच के लिये नहीं”। गांधीजी के सभी विचार हर युग और प्रत्येक पीढ़ी के लिये प्रासंगिक है।
स्वामी जी और भाईश्री ने महात्मा गांधी जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित कर उनके विचारों को आत्मसात करने का संदेश दिया।