उत्तराखंड

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र का कार्यकाल पूरा, नये अध्यक्ष पर टिकी निगाहें

कांग्रेस ने बीकेटीसी अध्यक्ष के फैसलों की खोली गांठ, उपलब्धि को किया खारिज

निकाय चुनाव में सोने का पीतल, क्यू आर कोड समेत कई मुद्दे उछाले

बीकेटीसी अध्यक्ष रहे अजेंद्र अजय की उपलब्धियों को कांग्रेस ने किया खारिज

बीकेटीसी की खोई हुई विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को वापस करने वाला बने नया अध्यक्ष- कांग्रेस

देहरादून। निकाय चुनाव के दौरान एक बार फिर बीकेटीसी व केदारनाथ धाम से जुड़े मुद्दों ने तेजी पकड़ ली है। बीकेटीसी अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने पर कांग्रेस ने निशाना साधा है।

दरअसल, बदरी-केदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कार्यकाल पूरा होने पर अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को विशेष तौर पर गिनाया। उपलब्धियों में बीकेटीसी की नियमावली, वित्त अधिकारी की नियुक्ति समेत कई अन्य प्रमुख फैसले गिनाये गए।

जवाब में कांग्रेस ने पुराने चर्चित मुद्दों की गांठ एक बार फिर खोल दी। पूर्व में भी केदारधाम के सोना से पीतल समेत अन्य मुद्दे राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बने थे। कांग्रेस ने लोकसभा, बदरीनाथ व केदारनाथ चुनावों में विवादास्पद मुद्दे उठाकर भाजपा को कठघरे में खड़ा किया था।

चूंकि, निकाय चुनाव के बीच ही बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कार्यकाल पूरा हुआ। लिहाजा, कांग्रेस ने निकाय चुनाव की बेला में बीकेटीसी से जुड़े सवालों को प्रदेश स्तर पर उठाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश शुरू कर दी है।

 

कांग्रेस गढ़वाल के पर्वतीय जिलों में जारी निकाय चुनाव प्रक्रिया के दौरान बीकेटीसी अध्यक्ष के कार्यकाल पर निशाना साध कर भाजपा उम्मीदवारों को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश में है।

पूर्व में हुए चुनावों में भाजपा नेतृत्व को सोना से पीतल समेत अन्य सवालों पर काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा था। पंडा व तीर्थ पुरोहित भी इन मुद्दों पर काफी मुखर देखे गए।

इधर, मंगलवार को बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कार्यकाल पूरा होने पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रतिक्रिया व्यक्ति की है।

कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता के दौरान दसौनी ने कहा कि बीकेटीसी के अध्यक्ष के तौर पर अजेंद्र अजय पूरी तरह से एक विफल साबित हुए हैं। जिनकी वजह से बीकेटीसी लगातार तीन साल तक विवादों में घिरा रहा। गरिमा ने कहा कि अजेंद्र अजय का सबसे बड़ा विवाद जिसका आज तक निस्तारण नहीं हो पाया वह है केदारनाथ मंदिर परिसर से 228 किलो सोने का पीतल में तब्दील हो जाना। इसके अलावा मंदिर परिसर के बाहर एक क्यू आर कोड लगा दिया गया जिससे समूचे उत्तराखंड में हड़कंप मच गया। बीकेटीसी शुरू में तो क्यूआर कोड मामले से पल्ला झाड़ता रहा पर तीन दिन बाद बीकेटीसी के प्रवक्ता ने पत्र जारी कर स्वीकार किया की क्यू आर कोड उन्हीं के द्वारा लगाया गया था।

लेकिन तब तक लाखों रुपया चंदा जमा हो चुका था । गरिमा ने कहा किनआज तक पता नहीं चला कि वह चंदा किसके अकाउंट में गया।दसौनी ने कहा कि अगर बात करें बीकेटीसी की नियमावली की तो पहली बार मंदिर परिसर के अंदर दर्शनार्थी गृह की व्यवस्थाएं पुलिस प्रशासन को संभालते हुए देखा गया । जबकि आज तक मंदिर समिति के स्वयंसेवक ही इस कार्य को करते आ रहे थे और तो और गर्भ गृह से बड़ी संख्या में फोटो और वीडियो वायरल होते रहे और वीआईपी कल्चर पल्लवित पुष्पित होता रहा जो की सभी मंदिर एक्ट के विरुद्ध थे।अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपनों को दे की कहावत को चरितार्थ करते हुए अजेंद्र अजय ने न सिर्फ अपने चहेतों का स्थानांतरण उनकी पसंद के स्थान पर किया बल्कि अपने भाई को बीकेटीसी में नियुक्ति दे दी और नियुक्ति के ठीक एक महीने बाद उसका ग्रेड पे बढ़ाते हुए नियम विरुद्ध उसकी वेतन वृद्धि कर दी गई।

इतना ही नहीं, अपने 3 साल के कार्यकाल में लगातार बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय पंडा पुरोहितों और हक् हकूक धारियों के अधिकारों में हस्तक्षेप करते रहे जिसकी वजह से चार धामों के पंडा पुरोहितों और हक हकूक धारियों और बीकेटीसी के बीच में लगातार तनातनी देखने को मिली।

गरिमा ने कहा कि उत्तराखंड के चार धाम उसकी आन बान शान है। राज्य की रीढ़ की हड्डी हैं। ऐसे में किसी कीमत पर हमारे पौराणिक मंदिरों के साथ और उनकी मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति को बीकेटीसी का जिम्मा नहीं दिया जाना चाहिए।

गरिमा ने प्रदेश के मुखिया से निवेदन करते हुए कहा की कोई ऐसा व्यक्ति बीकेटीसी के अध्यक्ष के रूप में चयनित होना चाहिए जो हमारे चार धामों और बीकेटीसी की खोई हुई विश्वसनीयता गरिमा और प्रतिष्ठा को वापस लौट सके और संरक्षण कर सके।

इधर, अजेंद्र अजय का कार्यकाल खत्म होने के बाद नये अध्यक्ष को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गयी है। सीएम धामी किस बेदाग चेहरे को बीकेटीसी का अध्यक्ष चुनते है। इस फैसले पर निगाहें टिकी हुई है।

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