परमार्थ निकेतन में गंगा दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। मां गंगा जीवन ही नहीं जीविका का भी स्रोत- स्वामी चिदानंद सरस्वती
जीते जीते अंशदान जाते जाते अंगदान
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर सभी को शुभकामनायें देते हुये कहा कि माँ गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि भारत की आत्मा है। भारत की शान, आन, पहचान और स्वाभिमान है। माँ गंगा युगों युगों से मानवीय चेतना का संचार कर रही हैं। वह केवल हमारी आस्था ही नहीं बल्कि हमारा अस्तित्व भी है, मां गंगा केवल जीवन का ही नहीं बल्कि जीविका का भी स्रोत हैं।
आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य मेदांता अस्पताल चेस्ट सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांटेशन के अध्यक्ष प्रो.डॉ.अरविंद कुमार , चीफ कमिश्नर श्री रमेश नारायण परबत, डीजी इन्वेस्टीगेशन, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड़, डा राजीव खुराना , संस्थापक लंग्स केयर फाउंडेशन, और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने गंगा स्नान, विश्व शान्ति यज्ञ, श्रीराम कथा, आज की विशेष गंगा आरती व गंगाजी के अवतरण पर विशेष सत्संग में सहभाग किया।
परमार्थ निकेतन गंगा के पावन तट पर आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा के 33 वें दिन स्वामी जी ने कहा कि आज विश्व पिता दिवस है हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पितृदेवो भव, मातृदेवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव …और गुरूजनों की अद्भुत व्याख्या की गयी हैं। वैज्ञानिक गुरूत्वाकर्षण की बात करते हैं भारत में तो सदियों से हमने देखा है ’गुरू तत्व का आकर्षण’, उन्होंने कहा कि धरती पर सबसे बड़ा गुरू तो ईश्वर है, वही सबके भीतर विद्यमान है वही पूरी सृष्टि में विराजमान है और उन्हीं का आकर्षण पूरी सृष्टि में काम कर रहा है। माता-पिता के वजह से हमें यह जीवन मिला हुआ है। यह जीवन केवल अपने लिये नहीं बल्कि पूरे समाज व सृष्टि के लिये है।
स्वामी जी ने कहा कि कथाओं के मंच भीतर के प्रदूषण को दूर करने के साथ-साथ बाहर भी जितने प्रकार के प्रदूषण है उस पर भी कथाओं के मंच से प्रतिदिन चर्चा होनी चाहिये।
श्रीराम कथा के मंच से स्वामी जी ने कहा कि जीते-जीते अशंदान-जाते जाते अंगदान। अशंदान अर्थात् अपने टाइम, टैलेंट, टेनासिटी का समाज के लिये दान करें। हमारे पास जो कुछ भी है अपना समय, अपनी प्रतिभा और जो कुछ भी अपने गुरूओं से सीखा है उसे समाज सेवा में लगायें, कुछ नहीं तो समाज में मुस्कराहट ही बांटों ताकि दूसरों के चेहरे भी खिल उठे। शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि ”शतहस्त समाहर सहस्र हस्त संकिरा” अर्थात् सौ हाथों से कमाओं और हजार हाथों से बांट दें और फिर जाते जाते अपने अंगों का दान कर आप 8 लोगों की जिन्दगी को बचा सकते हैं। हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन अपने प्रभु को समर्पित कर दिया। हम अपना थोड़ा समय और पैसा अपनी धरती व नदियों की रक्षा के लिये तो दे ही सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि अब समय आ गया कि हम प्रभु का स्मरण करते हुये अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करें। हम जहां पर भी कार्य कर रहे हैं उसे सेवा मानकर कर्तव्यों का पालन करते रहे यही तो ध्यान है, यही यज्ञ है और यही पूजा है। साथ ही जीवन में हरि स्मरण जरूरी है उसे कभी न भूले।
आज की मानस कथा में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और संत मुरलीधर जी ने कुलरिया परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया। स्वामी जी ने कहा कि अद्भुत व्यक्तित्व था संत श्री पदमाराम कुलरिया जी का 81 वर्ष की आयु में 81 हजार पौधा का रोपण करने का संकल्प ही नहीं लिया बल्कि उसे पूरी निष्ठा से पूर्ण किया और पूरे कुलरिया परिवार को संस्कृति के साथ प्रकृति के संरक्षण का दिव्य संदेश एक पिता ने दिया।
मेदांता अस्पताल चेस्ट सर्जरी और लंग ट्रांसप्लांटेशन के अध्यक्ष प्रो.डॉ. अरविंद कुमार ने पूज्य स्वामी जी, कथाव्यास संत मुरलीधर जी और पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित डा नरेश त्रेहन को धन्यवाद देते हुये कहा कि हम भूदान, धनदान, श्रमदान करते हैं वैसे ही एक बहुत बड़ा दान है अंगदान। जब किसी के अंग, जैसे किडनी, लीवर, हार्ट आदि खराब हो जाते हैं इलाज के लायक भी नहीं रहते ऐसे में उन्हें दूसरे के अंगों की जरूरत पड़ती है। मानव अंगों को बनाया नहीं जा सकता परन्तु उन्हें ट्रांसप्लांट किया जा सकता है इसलिये बीमार लोगों को अंगों की जरूरत होती है। किसी दूसरे व्यक्ति के अंगों को लगाकर बीमार व्यक्ति की जान को बचाया जा सकता है। अगर एक व्यक्ति अंगदान-महादान का प्रण करे तो 8 व्यक्तियों की जान को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम सब जिनकी प्रार्थना करके अपने शुभ कार्य शुरू करते हैं श्री गणेश जी अंगदान व ट्रांसप्लांट के सबसे बड़े व पहले उदाहरण है इसलिये आप सभी अंग दान के विषय में चिंतन करे और इस पर बात करना शुरू करे।
चीफ कमिश्नर श्री रमेश नारायण परबत , डीजी इन्वेस्टीगेशन, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड़ ने कहा कि पूज्य स्वामी जी के श्रीचरणों में बैठकर संत श्री मुरलीधर जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण करना अत्यंत सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन का यह दिव्य गंगा तट और यह पूरा स्वर्गाश्रम क्षेत्र वास्तव में स्वर्ग है।
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड में शनिवार को तीर्थयात्रियों को ले जा रहा वाहन जो कि सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था, जिसमें सवार 14 लोगों के मारे जाने की सूचना प्राप्त होते ही स्वामी जी ने सभी मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिये प्रार्थना की तथा गंभीर रूप से घायलों के स्वास्थ्य लाभ हेतु आज की गंगा आरती समर्पित की। स्वामी जी ने शोकाकुल परिजनों से निवेदन किया कि जो बाहर से आये हैं वे परमार्थ निकेतन में आकर रह सकते हैं, इस दुःख की घड़ी में पूरा परमार्थ परिवार आप सभी के साथ हैं।