धरती ही हमारा खरा सोना – स्वामी चिदानंद सरस्वती। परशुराम जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय देवभूमि बाह्मण जन सेवा समिति द्वारा भगवान परशुराम चौक एवं सनातन धर्म मन्दिर देहरादून में आज परशुराम जी की प्रतिमा का स्वामी चिदानंद मुनि ने लोकार्पण किया।
देहरादून। भारतीय देवभूमि बाह्मण जन सेवा समिति द्वारा भगवान परशुराम चौक एवं सनातन धर्म मन्दिर, देहरादून में आज परशुराम जयंती के अवसर पर परशुराम जी की प्रतिमा का लोकार्पण किया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान रहे।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि परशुराम जी भगवान विष्णु के आवेशावतार के रूप में उनका छठा अवतार हैं। महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्ट यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से परशुराम जी का जन्म हुआ। उन्होंने धरती पर फैले अन्याय व अत्याचार के अंत और मानवता की रक्षा हेतु अपना परसा उठाया।
ऋषि की संतान होते हुये भी परशुराम जी ने अधर्म से लड़ने के लिये 21 बार अपना शस्त्र परसा उठाया और अन्याय व अत्याचार के खिलाफ लड़े। स्वामी जी ने कहा कि आज हमें पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण को समाप्त करने के लिये एक ऐसे परसे रूपी शस्त्र की जरूरत है जो मानवता के सामने खड़ी प्लास्टिक प्रदूषण रूपी इस विकाराल समस्या का समाधान हमें दे सके। हमें एक ऐसे परसे की जरूरत है जो वर्तमान समय में व्याप्त वैचारिक प्रदूषण, वायु प्रदूषण व वाणी प्रदूषण को समाप्त कर सके।
स्वामी जी आज अक्षय तृतीया के अवसर संदेश दिया कि धरती ही सोना है, हमारे जल स्रोत हमारा सोना है इसलिये पौधों का रोपण कर धरती रूपी खरा सोना को बचाएं। हमारे शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि अक्षय तृतीया पर किये गये संकल्प अक्षय होते हैं। अक्षय-अर्थात् जिसका कभी क्षय न हो, जिसका कभी अंत न हो, जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता, जो शाश्वत है, समृद्ध है, अनवरत चलता है और जो सदैव फलता-फूलता है इसलिये आइए संकल्प लें कि हमारी धरती ही हमारा सोना है धरती ही खरा सोना है। धरती नहीं होगी तो न हम होंगे न हमारी भावी पीढ़ियाँ होगी। धरती, अक्षय होगी तो जीवन सुरक्षित होगा। अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिये अपने जीवन की ऊर्जा को पर्यावरण संरक्षण में लगाना होगा इसलिये आईये पौधों का रोपण व संरक्षण करें ताकि धरती, वायु, जल और मिट्टी शुद्ध व प्रदूषण मुक्त हो। पर्यावरण सरंक्षण से जुड़ें और अपने जीवन को बदलने के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त शक्ति का अनुभव करें।
इस अवसर पर अखिल भारतीय देवभूमि ब्राह्मण जन सेवा समिति के सदस्य व श्रद्धालु उपस्थित थे।