अंतर्राष्ट्रीय

13 फरवरी विश्व रेडियो दिवस

रेडियो मनोरंजन एवं संचार का सशक्त माध्यम है, रेडियो के महत्व को देखते हुए, सन् 2011 में यूनेस्को के सदस्यों ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

सबसे पहले भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र वसु ने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों पर वैज्ञानिक प्रयोग शुरू किए, उन्हें रेडियो विज्ञान का जनक माना जाता है।

सन् 1895 में गुलयेल्मो मारकोनी रेडियो के सिग्नल स्थानांतरित करने में कामयाब रहे, और 1896 में मारकोनी ने इसका पेटेंट अपने नाम करवा दिया। 1909 में मारकोनी को इसके लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। एक साथ एक से अधिक लोगों के लिए रेडियो का प्रसारण 1906 में शुरू हुआ, इसके बाद रेडियो प्रसारण के नए नए प्रयोग होने शुरू हो गए। 1917 के प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सेना के अलावा अन्य लोगों के रेडियो चलाने पर प्रतिबंध लग गया था।

इस प्रकार 1895 से रेडियो की यात्रा शुरू हुई, और 1950 तक रेडियो की पहचान दुनियाभर में बन गई। रेडियो को लोग ध्यान से सुनते थे, तथा रेडियो द्वारा प्रसारित सूचना या समाचार को प्रमाणिक माना जाता था। एक समय था जब संचार माध्यमों में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका थी। लोग रेडियो के द्वारा देश विदेश के समाचार सुनने के अलावा भरपूर मनोरंजन भी करते थे।

कुछ वर्ष पहले तक रेडियो का बहुत बड़ा क्रेज था, शादी ब्याह में रेडियो उपहार के रूप में दिया जाता था। हर घर में एक रेडियो होता था। उस समय चाभी वाली घड़ी होती थी जिसमे 24 घंटे में एक बार चाभी भरनी होती थी, जब कभी घड़ी में टाइम की सेटिंग खराब हो जाती थी तो रेडियो के द्वारा ही घड़ी का टाइम ठीक किया जाता था।

समय के साथ रेडियो ने भी कई बदलाव किए हैं, पहले आकाशवाणी केंद्र का खुलने और बंद होने का और समाचार, गीत संगीत आदि का समय निश्चित होता था, लेकिन अब एफएम के रूप में कई बदलाव हुए हैं। जो श्रोताओं को पसंद भी आ रहे हैं।

बदलते समय के साथ रेडियो की उपयोगिता और महत्व कम होने लगा। वर्तमान समय में युवाओं को रेडियो का महत्व समझाने के लिए रेडियो दिवस की शुरुआत की गई।

 

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