ब्रह्मलीन संत श्री पद्माराम जी कुलरिया की पुण्य स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन। संत पद्माराम जी की स्मृतियों पर आधारित पुस्तक का विमोचन। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने ऑनलाइन संबोधित किया
ऋषिकेश, नोखा, बीकानेर। ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पद्माराम जी कुलरिया की पुण्य स्मृति में आयोजित पद्म स्मारक, प्रेरणालय, पुस्तकालय, संग्रहालय उद्घाटन एवं मूर्ति अनावरण समारोह में सहभाग कर संतों ने उद्बोधन दिया। संतों ने कहा कि पूज्य संत पद्माराम कुलरिया जी ने मानवता के लिये अद्भुत कार्य किये उन्हीं कार्यों के एक स्वरूप का आज हम दर्शन व लोकार्पण कर रहे हैं।
राजस्थान के माननीय राज्यपाल कलराज मिश्र जी ने ऑनलाइन जुड़कर अपने उद्बोधन में पद्म स्मारक के लिये बधाइयाँ देते हुये कहा कि कुलरिया परिवार द्वारा संत पद्माराम जी की स्मृतियों को सदा के लिये संजोंने का अद्भुत कार्य किया जा रहा है। बालिकाओं की शिक्षा के लिये एक सुविधाजनक विद्यालय व डिजिटल लाइब्रेरी खोली गयी। बालिका शिक्षा आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। एक बालिका के शिक्षित होने से संपूर्ण समाज शिक्षित होता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षित करने के लिये बराबरी का अधिकार प्राप्त होना चाहिये। शिक्षा लैंगिक विषमताओं को दूर करती है। महिलाओं को हमारें यहां देवी व शक्ति के रूप में पूजा जाता है। जो बालिकायें शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करें उन्हें प्रोत्साहित करना भी जरूरी है। उन्होंने डिजिटल पुस्तकाल की सराहना करते हुये कहा कि पुस्तकें ज्ञान का सबसे श्रेष्ठ माध्यम है। उन्होंने विश्व की बेहतर पुस्तकों को डिजिटल स्वरूप प्रदान करने हेतु प्रेरित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राजस्थान, महाराणा प्रताप और भामाशाह की भूमि है, शौर्य, सेवा और दान की भूमि है, मीरा बाई की धरती है। शूर वीरों की प्रेम की भी धरती है। यह भूमि अद्भुत शूरता व वीरता की धरती है। आज इस धरती से कुछ नया करने का संकल्प ले कर जाये। शहरों में जाकर गांव को न भूलें, गांवों को समृद्ध और सम्पन्न बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
स्वामी जी ने कहा कि पीआर से व्यापार और संस्कारों से परिवारों में प्यार बढ़ता है इसलिये ये पूरा कुलरिया परिवार मिलकर रहे। उन्होंने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि राजस्थान की धरती से एक संकल्प लेकर जाये कि अपने गांवों को संजोएं, न्यू जनरेशन व न्यू क्रियेशन का संकल्प युवा पीढ़ी यहां से लेकर जाये।
स्वामी जी ने पूरे कुलरिया परिवार व बच्चों को एक साथ बुलाकर सभी को एकता व एकजुटता के साथ रहने का संकल्प कराया।
योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने सभी को संदेश देते हुये कहा कि प्रतिदिन प्रातःकाल धरती माता को प्रणाम करें। संकल्प प्रणाम अत्यंत आवश्यक है। धरती सभी माताओं की माँ है। धरती माता के प्रति सर्वोपरि कृतज्ञता का भाव जरूरी है क्योंकि हम सभी धरती माता की संतानें हैं। सनातन का संस्कार ही है अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित जीवन। इस अवसर पर उन्होंने पक्षियों और प्राणियों के संरक्षण का संदेश दिया। गौ माता के सेवा और गौवंश के संरक्षण हेतु प्रेरित किया। सभी को प्रेम से रहने हेतु प्रेरित किया।
स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी ने कहा कि यह अद्भुत व अनोखा प्रसंग है गौ भक्त श्रद्धेय पद्माराम कुलरिया जी की कीर्ति व गुण गौरवगाथा को कई संतों के श्रीमुख से श्रवण किया है। संत पद्माराम जी का जीवन धन्य व यश से युक्त जीवन था। उनके कार्यों से ही उनकी यश कीर्ति का गुणगान हो रहा है। गृहस्थ रहते हुये ऐसा दिव्य जीवन संत पद्माराम जी ने जिया। भगवान से भक्ति व संसार से विरक्ति यही उनकी जीवन यात्रा रही है। वे प्रकृति की सेवा और ईश्वर की आराधना करते थे वास्तव में वे पद्म रत्न थे।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जब ब्रह्मलीन ंसंत श्री पद्माराम जी परमार्थ निकेतन में पूरे परिवार के साथ आते थे उस समय उनके परिवार के बीच प्रेम व एकता के अद्भुत दर्शन होते थे। हम प्रतिदिन गंगा के तट पर गाते हैं सबसे ऊँची प्रेम सगाई, वही प्रेम हमें संत पद्माराम जी के सेवा कार्यों में देखने को मिलता है। उन्होंने भगवान की पूजा केवल मन्दिर में नहीं की बल्कि उन्होंने प्रतिक्षण सेवा कार्य करते हुये प्रभु की सेवा की। संत पद्माराम जी ने अपने जीवन को ही यज्ञ बना दिया। उन्होंने अपनी हर श्वास को ही आहुति बना दिया। जीवन का उद्देश्य यह नहीं है कि मेरे लिये क्या बल्कि यह है कि मेरे द्वारा क्या? यही संदेश यहां से लेकर जाये।
आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि ब्रह्मलीन श्री पद्माराम कुलरिया जी की तप, पुरूषार्थ व साधना से यह पावन धरा पुलिकत हो रही है। यहां की माटी का कण-कण उनकी तपस्या की गौरवगाथा कह रही है। उनकी गौ माता के प्रति पीड़ा को हम भक्ति के रूप में देख रहे हैं। इस परिवार का आध्यात्मिक, धार्मिक व सामाजिक सरोकार है और जो सेवा का दीप है वह अद्भुत है। यह परिवार सभी के लिये प्रेरणा का स्रोत है। हम कमाने कहीं पर भी जायें परन्तु अपने मूल और मूल्यों को कभी न भूले यही संदेश यह परिवार प्रदान कर रहा है।
बालकवि सचिन ने अपनी काव्य रचना प्रस्तुत की। इस अवसर पर पूरे कुलरिया परिवार ने बड़ी ही श्रद्धा व विन्रमता से पूज्य संतों का पुष्पहार व पगड़ी पहनाकर स्वागत व अभिनन्दन किया। वहां पर सनातन संस्कृति का अद्भुत स्वरूप देखने को मिला। सभी ने इन दिव्य कार्यों के लिये पूरे कुलरिया परिवार श्री कानाराम जी, श्री शंकर जी, श्री धर्म जी, श्री सुरेश जी, श्री नरेश जी, श्री पुखराज जी, श्री पंकज जी एवं समस्त कुलरिया परिवार और उनकी माताजी हर प्यारी जी का अभिनन्दन किया।