उत्तराखंड

राष्ट्रीय पर्यटन दिवस। भारत में आध्यात्मिक पर्यटन का उदय। स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अमेरिका यात्रा से स्वदेश लौटने के पश्चात सीधे अयोध्या धाम, श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में सहभाग किया।

अमेरिका व अयोध्या धाम की सुखद यात्रा के पश्चात परमार्थ निकेतन पहुंचने पर शंखध्वनि, मंगलगान और पुष्पवर्षा के साथ जय श्री राम के नारों से पूज्य महाराज जी का दिव्य अभिनन्दन किया गया। स्वामी जी ने अयोध्या धाम की दिव्य स्मृतियों को सभी के साथ साझा किया। उन ऐतिहासिक पलों व स्मृतियों का श्रवण कर परमार्थ परिवार गदगद हो गया।

आज राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन का विकास तेजी से हो रहा है।

भारत ने दिखा दिया कि पर्यटन अर्थात केवल प्राकृतिक सुंदरता के मनोरम दृृश्यों के दर्शन ही नहीं बल्कि इतिहास, विरासत, सांस्कृतिक व आध्यात्मिकता को जानना व समझना भी जरूरी है। पर्यटन से केवल अर्थव्यवस्था  ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक विकास भी होता  है। भारत अपने पर्यटकों को हॉस्पिटैलिटी के साथ होलेस्टिक अप्रोच भी प्रदान करता है तथा भारत की मेज़बानी वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति से युक्त है।

स्वामी जी ने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से तो भारत सबसे उपयुक्त है परन्तु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सप्तपुरी अयोध्या नगरी में श्री राम मन्दिर निर्माण व प्राण-प्रतिष्ठा, धर्म व मोक्ष की दिव्य नगरी काशी में विश्वनाथ कारिडोर, उज्जैन में महाकालेश्वर कारिडोर, केदारनाथ धाम पुनर्विकास, जगन्नाथ पुरी मन्दिर हैरिटेज कॉरिडोर और अन्य दिव्य मन्दिरों की भव्यता को पुनर्स्थापित व पुनर्विकसित कर उत्कृष्ट कार्य किया गया है जो कि पर्यटन व तीर्थाटन दोनों ही दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पर्यटन के दृष्टिकोण से भारत का हमेशा से विशेष स्थान रहा है, भारत में पर्यटन की शुरुआत को देखें तो पर्यटन का इतिहास तीर्थ यात्राओं से कहीं-ना-कहीं जुड़ा हुआ है। लोग पैदल यात्रा करते थे, आज भी भारत में आने वाले पर्यटकों, यात्रियों में सबसे अधिक तादाद अगर किसी की होती है तो वो तीर्थ यात्रियों की या फिर धार्मिक यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की होती है इसलिये तीर्थ स्थलों का पुनर्विकास एक महत्वपूर्ण कदम है।

स्वामी जी ने कहा कि धार्मिक यात्रायें जीवन को व्यवस्थित ढंग से जीने का संदेश देती है। प्रत्येक यात्रा किसी न किसी खोज की यात्रा होती है,यह खोज धर्म, ज्ञान, संस्कृति, ईश्वर किसी पवित्र शहर की या फिर स्वयं  हो सकती है। दुनिया में  भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जहां की धरती समाधान प्रदान करती है।

भारतीय इतिहास के प्रत्येक दौर को देखें तो भारत शिक्षा के प्रमुख केंद्र के साथ ही  व्यापार, विविधता में एकता, समरसता, सद्भाव और शान्ति का केन्द्र बनकर रह है। भारत ने सदैव ही अपने पर्यटकों को अपने सिद्धान्तों व परम्पराओं के कारण मंत्रमुग्ध किया है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति, संस्कार और थाती भारत के पवित्र शहरों व धार्मिक स्थलों में आज भी विद्यमान है इन प्राचीन तीर्थस्थलों की विरासत को संरक्षित रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के अवसर पर परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों को पौधारोपण करने का संकल्प कराया।

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