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भूलकर भी गणपति जी की मूर्ति विसर्जित न करें -: आचार्य चंद्रप्रकाश ममगाईं

देहरादून। आजकल देश प्रदेश में मंगलकर्ता प्रभु विघ्न विनाशक गणपति महोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है। सभी भक्त श्रद्धा भक्ति के साथ सपरिवार भगवान गणपति जी महोत्सव की तैयारी में तन, मन और धन से जन-जन के कल्याण हेतु गणपति जी को मनाने का प्रयास कर रहे हैं।

गणपति महोत्सव धर्म और आध्यात्म के प्रति सनातन धर्मालंबियों की निष्ठा और भक्ति भाव को दर्शाता है। सनातन वैदिक परंपरा में शास्त्र भगवान गणपति जी का आवाहन, स्थापना, पूजन यथाविधि करने का निर्देष करता है। गणपति महोत्सव में गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। सनातन धर्म में गणपति जी का विसर्जन करना शास्त्र सम्मत नहीं है। क्योंकि जब हमारे घर में अनुष्ठान (देवकार्य) होता है तो पूर्णाहुति के बाद सब देवताओं से निवेदन किया जाता है कि हमारा यज्ञ संपन्न हो चुका है, जब हम दुबारा यज्ञ करेंगे तो आपका आवाहन कर आपको बुलाएंगे। इसके साथ ही यह कहा जाता है कि गणेश जी और लक्ष्मी जी हमेशा हमारे घर में निवास करें।

गणपति महोत्सव में गणेश जी का आवाहन, पूजन, जागरण, भंडारा आदि कई प्रकार से महोत्सव सुसम्पन किया जा सकता है, लेकिन अंत में विसर्जन की परंपरा को परिवर्तित करके, भगवान गणपति जी की मूर्ति को घर,मंदिर, बच्चों का अध्ययन कक्ष या उचित स्थान पर रख करके, पुनः अग्रिम वर्ष पूजन संपन्न कर सकते हैं। गणेश जी एवं लक्ष्मी सदा सर्वदा हमारे घर, प्रतिष्ठान, व्यवसाय में प्रतिष्ठित होते हैं। इसलिए भूलकर भी कोई ऐसा पाप कर्म न हो, जिसका कोई प्रायश्चित भी न हो सके।

लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने 1893 में महाराष्ट्र में गणपति महोत्सव की शुरुआत की थी। इस महोत्सव का उद्देश्य लोगों को एक साथ इकट्ठा कर स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई को मजबूती प्रदान करना था। तब से यह महोत्सव महाराष्ट्र का एक बड़ा पर्व बन गया। इसके साथ ही कालांतर में देश के अन्य प्रांतों में भी गणपति महोत्सव होने लगे।

मूर्ति विसर्जन का परिणाम आयोजन समिति को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझना चाहिए। विसर्जन के वक्त मूर्ति का कभी हाथ टूटता है, कभी पांव, कभी गर्दन, कभी कमर ऐसी स्थिति में गणेश जी भी अपने आंसू नहीं रोक पाते होंगे। इसलिए निवेदन है कि, सभी पर्व त्योहारों को, मान मर्यादा, धर्म, आध्यात्म के साथ मनाने का प्रयास करें, तो निश्चित रूप से समस्त कष्टों का निवारण हो सकता है। पुनः निवेदन और सुझाव के साथ आप सभी को गणेश महोत्सव की हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं। आचार्य- चंद्र प्रकाश ममगांई (वरिष्ठ पुजारी)भवन श्री कालिका माता, मंदिर समिति, देहरादून।

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