उत्तराखंड

मोहित डिमरी ने बाबा मोहन उत्तराखंडी की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की और लोगों से 1 सितंबर को गैरसैण में मूल निवास स्वाभिमान महारैली में आने की अपील की।

बेनीताल (चमोली)। आज 09 अगस्त को मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड के सदस्यों और संयोजक मोहित डिमरी ने बेनीताल में बाबा मोहन उत्तराखंडी की समाधि स्थल पर पहुंचकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।

बाबा उत्तराखंडी के नाम से विख्यात मोहन सिंह नेगी का जन्म  ग्राम बंठोली, विकास खंड एकेश्वर, जनपद पौड़ी गढ़वाल में 3 दिसंबर 1948 को हुआ था।

गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग करते हुए बाबा उत्तराखंडी ने 38 दिन का आमरण अनशन किया। बाबा उत्तराखंडी का स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए स्थानीय प्रशासन ने 8 अगस्त 2004 के दिन बाबा उत्तराखंडी को जबरन अनशन स्थल से उठाकर कर्णप्रयाग के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवा दिया। जहां पर 9 अगस्त 2004 को प्रात: काल बाबा उत्तराखंडी को मृत अवस्था में पाया गया।

गैरसैण स्थाई राजधानी के लिए बाबा उत्तराखंडी का बलिदान व्यर्थ न जाए इसके लिए बेनीताल क्षेत्र के लोगों ने “राजधानी निर्माण संघर्ष समिति” का गठन किया। बाबा मोहन उत्तराखंडी की पहली पुण्यतिथि 9 अगस्त 2005 से प्रतिवर्ष बलिदानी स्मृति मेला आयोजित किया जाता है।

इस बार बलिदानी स्मृति मेला समिति द्वारा मूल निवासी भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी को  सम्मानित किया गया, मोहित डिमरी ने क्षेत्र के लोगों से 01 सितंबर को गैरसैंण में मूल निवास, भू कानून और गैरसैंण राजधानी की आवाज उठाने के लिए मूल निवास स्वाभिमान महारैली में पहुंचने का आह्वाहन किया ।

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