उत्तराखंड

तुर्की का रोटेरियंस दल परमार्थ निकेतन गंगा आरती में शामिल हुआ

ऋषिकेश। तुर्की से एक रोटेरियंस दल भारत भ्रमण पर आया हुआ है, दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंटकर आशीर्वाद ग्रहण किया उसके वे बाद गंगा आरती में शामिल हुए।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी रोटेरियंस का क्लाइमेट चेंज की ओर ध्यान आकर्षित करते हुये कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व को हरित जीवनशैली आौर मिशन लाइफ के सूत्रों, प्रो पीपल्स प्लानेट अर्थात ग्रह की जीवनशैली, ग्रह के लिये और ग्रह के द्वारा अपनाने की जरूरत है।

आज वर्ल्ड वेटलैंड दिवस भी है। जिसकी पारिस्थितिक तंत्र जो जैव विविधता, शुद्ध व स्वच्छ जल और जलवायु विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका हैं। माननीय प्रधानमंत्री भारत श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में कॉप 26 मिशन लाइफ अभियान को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि एक स्वच्छ व सुरक्षित भविष्य का निर्माण किया जा सके। अब समय आ गया कि वर्शिप अपनी-अपनी करे परन्तु रिस्पेक्ट सभी की, और उन सभी में हमारी प्रकृति, पर्यावरण और जल स्रोत सभी हैं। अब समय एक ऐसे कल्चर, ऐसी संस्कृति को स्वीकार करने का है जहां सर्वे भवन्तु सुखिनः के सूत्र हो, विश्व कल्याण व मंगल के मंत्र हो और वसुधैव कुटुम्बकम् की दिव्य भावना समाहित हो।

स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का स्वयं को समृद्ध बनाने के साथ एक शांतिपूर्ण समाज, राष्ट्र तथा विश्व के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान है। समकालीन विश्व में जहाँ एक ओर पर्यावरण प्रदूषण के साथ विभाजन और संघर्ष भी देखने को मिल रहा है ऐसे में भारतीय संस्कृति की शिक्षाओं और प्रेरणाओं को आत्मसात कर करुणा, सहानुभूति और एकता की भावनाओं को बढ़ाया जा सकता है। भारतीय संस्कृति आत्म-खोज, आंतरिक परिवर्तन, आत्म-अन्वेषण, आत्म-निरीक्षण और आत्म-चिंतन की संस्कृति है जो प्रकृति संरक्षण की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। इससे वर्तमान की सभी सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही समानता, न्याय, सतत व सुरक्षित प्रथाओं को सुरक्षित रखते हुये हाशिए पर खड़े समूहों को मुख्य धारा में लाने के साथ पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी बन सकते हैं और एक न्यायसंगत, सामंजस्यपूर्ण और पर्यावरण के प्रति जागरूक समाज का निर्माण किया जा सकता है।

“वर्ल्ड वेटलैंड डे” के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आर्द्रभूमि के संरक्षण का संदेश देते हुये कहा कि इस वर्ष की थीम ’वेटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग’ है जो आर्द्रभूमियों, शारीरिक मानसिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य सहित मानव कल्याण के विभिन्न पहलुओं के बीच अंतर्संबंधों पर जोर देती है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि यह दिवस हमें आर्द्रभूमि की स्वच्छता और पौधारोपण अभियान को बढ़ावा देने की प्रेरणा प्रदान करता है। अब समय आ गया है कि हम आर्द्रभूमि के अनुकूल जीवनशैली अपनाएं, अपने दैनिक जीवन में ऐसे विकल्प अपनाये जिससे जल संरक्षण और ऊर्जा की बचत हो ताकि आर्द्रभूमि सुरक्षित रहे साथ ही आगे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित हो। जैव विविधता (बायोडाइवर्सिटी) हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है और पारिस्थितिकी संतुलन में आर्द्रभूमि का महत्वपूर्ण योगदान है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वन हमारी धरती के फेफड़े है, नदियां हमारी धरती की रूधिर वाहिकायें है और आर्द्रभूमि हमारी धरती की किडनी है जिसके बिना धरती के स्वस्थ और सुरक्षित जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।

तुर्की से आये रोटेरियंस के दल ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया। योग, ध्यान, सत्संग, हवन और आरती में सहभाग कर इस दिव्य वातावरण की स्मृतियों को मानस पटल पर साथ लेकर यहां से विदा ली।

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