उत्तराखंड

गढ़वाली गीत संगीत के जनक स्वर्गीय जीत सिंह नेगी जयंती

पौड़ी। गढ़वाली गीत संगीत, के जनक, लेखक, गायक, गीतकार, संगीतकार, नाटककार,निर्देशक जीत सिंह नेगी का जन्म 2 फरवरी 1925 की पौड़ी की पैडुलस्यूं पट्टी के अयाल गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम सुल्तान सिंह नेगी और माता का रूपा देवी था। उनकी शिक्षा पौड़ी, लाहौर और म्यामार में हुई।

जीतसिंह नेगी जी ने अपने कैरियर की शुरुआत 1940 की, वे पहले गढ़वाली गायक थे जिनके गीतों को रिकॉर्ड किया गया। पहली बार सन 1949 में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी द्वारा उनके 6 गीत रिकॉर्ड किए गए। 1940 के दशक में गढ़वाली भाषा के वह एकमात्र गायक थे, उन्होंने मुंबई की नेशनल ग्रामोफोन कंपनी में सहायक संगीत निर्देशक के रूप में भी काम किया। तू होली बीरा, रूमुक ह्वेगे घौर ऐजादी प्यारी छैला हे आदि कई गीत आज भी काफी लोकप्रिय हैं।

1952 में उनके द्वारा रचित नाटक”भारी भूल”  का मंचन मुंबई में किया गया,ब्याह नाटक बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ। इस नाटक के प्रभाव से मुंबई और अन्य शहरों में रहने वाले प्रवासी अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नाटक के महत्व को समझने लगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। हिमालय कला संगम दिल्ली द्वारा 1954 – 55 में इस नाटक का मंचन दिल्ली में किया गया।

इसके अलावा उन्होंने मलेथा की कूल, जीतू  बगड्वाल, पतिव्रता रामी, राजू पोस्टमैन आदि कई नाटकों की रचना की। आकाशवाणी से उनका पहला गीत 1954 में प्रसारित किया, गया, जीतू बगड्वाल और मलेथा की कूल को आकाशवाणी द्वारा 50 से ज्यादा बार प्रसारित किया गया। उनके द्वारा रचित नाटक रामी का हिंदी संस्करण दिल्ली दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था।

21 जून सन 1920 को गढ़वाली गीत संगीत का यह सूर्य अस्त हो गया।

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