परमार्थ निकेतन में गंगा जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का भव्य समापन। गंगा आरती समाज में एकता व एकजुटता का सर्वश्रेष्ठ माध्यम “स्वामी चिदानन्द सरस्वती”
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का आज समापन हुआ। परमार्थ निकेतन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा ने संयुक्त रूप से आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में देश के चार राज्यों से आए 23 घाटों के 35 पुरोहितों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला समापन के अवसर पर उन्होंने गंगा के तट पर अपने उद्गार व्यक्त किये और गद्गद होकर गंगा मैया को प्रणाम करके यहां से विदा ली।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के सान्निध्य में गंगा जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को जी अशोक कुमार महानिदेशक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, और सलाहकार जगमोहन गुप्ता ने ऑनलाइन के माध्यम से सम्बोधित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम देवभक्ति व देशभक्ति दोनों में आस्था और विश्वास रखते हैं। सब देशहित में सोचे, एकता के सूत्र में बंधे रहे और राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ते रहे। सभी प्रतिभागी यहां से यह संकल्प लेकर जायें कि हम अपने-अपने तटों से गंगा जी की आरती के साथ पर्यावरण को शुद्ध रखने का संदेश भी प्रसारित करेंगे और आरती के माध्यम से जनजागरूकता फैलायेंगे।
स्वामी जी ने कहा कि गंगा आरती के माध्यम से सभी को जोड़े, तटों को प्रदूषित होने से बचाये, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करे और अधिक से अधिक पौधारोपण करने का संदेश प्रसारित करे तथा आप सभी आरती के माध्यम से एकता व एकजुटता के लिये कार्य करते रहे, इसे गंगा जी का संदेश मानें। जिस प्रकार गंगा जी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती वैसे ही वातावरण का निर्माण हम सभी को करना है। हम सब अपने घाटों और दिलों को स्वच्छ बनाने का संकल्प लें।
महानिदेशक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, श्री जी अशोक कुमार जी ने कहा कि गंगा आरती के माध्यम से जागरूकता फैलाना परम सौभाग्य का काम है। यह सौभाग्य हम सभी को प्राप्त हुआ है। परमार्थ निकेतन में वर्षों पहले आरती का क्रम शुरू हुआ है जिसने लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया है। आरती के मंच से पूज्य स्वामी जी प्रतिदिन लोगों को जागरूक करते हैं। वे आस्था के साथ अन्य समस्याओं की ओर भी ध्यान आकर्षित करते हैं, एवम समस्याओं के समाधान का रास्ता भी बताते हैं।
परमार्थ निकेतन आश्रम में भव्य रूप से आरती का आयोजन किया जाता है। विगत एक वर्ष से नमामि गंगे ने पूज्य स्वामी जी के साथ जुड़कर आरती कार्यशाला की शुरूआत की है। यह पांचवा ग्रुप है, इससे पहले चार ग्रुपों को प्रशिक्षित किया गया है।
उन्होंने कहा कि आरती आस्था व आजीविका से जुड़ा हुआ विषय है। गंगा जी देवप्रयाग से गंगा सागर तक बहती है इस बीच के सभी घाटों पर एक जैसी आरती हो इसलिये हमने शोध करके एक पुस्तक भी बनायी है। हमारा विश्वास है कि हमने जो क्रम बनाया है उसका आप कम से कम 70 प्रतिशत उपयोग अवश्य करें 30 प्रतिशत आप लोकल परम्पराओं को उसमें जोड़ सकते हैं ताकि हर गांव व घाट का अपनापन उसमें दिखायी दे।
जी अशोक कुमार ने कहा कि गंगा आरती सनातन आस्था का विषय है, इसलिये इसमें लापरवाही नहीं होनी चाहिये। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की थी तब उन्होंने शुद्ध आचरण पालन व अनुष्ठान किया था, उसी प्रकार गंगा जी की आरती आप सभी को भी निष्ठा के साथ करनी होगी। गंगा जी की आरती पैसा कमाने का माध्यम नहीं है बल्कि निष्ठा का विषय है। गंगा जी की आरती गंगा जी के प्रति आस्था बढ़ाने व लोगों को जागरूक करने का माध्यम है । उन्होंने कहा कि अभी 50 से अधिक घाटों में आरती का क्रम शुरू हो गया है। आप सभी को भी आरती के माध्यम से स्वच्छता, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संदेश प्रसारित करना होगा। हम सभी मिलकर गंगा को स्वच्छ व अविरल रखेंगे।
सलाहकार जगमोहन गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि गंगा माता की कृपा से आप सभी को परमार्थ निकेतन के सात्विक वातावरण में रहने का अद्भुत अवसर प्राप्त हुआ है। वहां की आरती में एक डिवाइन कनेक्शन अनुभव होता है। परमार्थ निकेतन में जिस प्रकार की आरती होती है उस मॉडल पर आपको अपने-अपने घाटों पर आरती करनी है। आरती के माध्यम से लोगों को आस्था के साथ आजीविका भी उत्पन्न करनी है, साथ ही गंगा नदी के प्रति लोगों के दिलों में भावनायें भी उत्पन्न हो। आरती के माध्यम से गंगा जी को भी बचाना है और लोगों की आस्था को बढ़ावा देना है। आरती, गंगा को संरक्षित रखने का एक बहुत अच्छा प्रयास सिद्ध हो रहा है और इसके श्रेष्ठ परिणाम भी हमें प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने गंगा जी को स्वच्छ रखने का संदेश दिया।
सभी प्रतिभागियों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष की माला, रूद्राक्ष का पौधा और आरती का प्रमाणपत्र दिया। सभी प्रतिभागियों ने गदगद होकर अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान किया।