उत्तराखंड

भारतीय पारंपरिक नववर्ष एवं चैत्र नवरात्र की शुभकामनाएं

बाहर शक्ति का पूजन और भीतर शक्ति का दर्शन

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वैदिक हिन्दू नववर्ष और नवरात्रि की शुभकामनायें देते हुये कहा कि इन नौ दिनों में बाहर शक्ति का पूजन करें और भीतर शक्ति का दर्शन करें।

हिन्दू नववर्ष की जानकारी देते हुये स्वामी जी ने कहा कि जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया था उस दिन से विक्रमी संवत की शुरू हुआ। उसम्राट विक्रमादित्य ने ज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया। चैत्र का महीना हिंदू कैलेंडर का पहला महीना और गुड़ी पड़वा और उगादी पहला दिन है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शक्ति के महापर्व ‘‘नवरात्रि’’ की शुभकामनायें देते हुये कहा कि नवरात्रि पर्व भीतर की यात्रा का पर्व है। हमारे भीतर भी एक रात्रि है, जो कई बार हमें दिखाई नहीं देती है। हमारे भीतर केवल एक रात्रि नहीं बल्कि रात्रि ही रात्रि है। रात्रि से तात्पर्य अन्धकार और दिवस का मतलब प्रकाश से है। नवरात्रि का पर्व भीतर के अन्धकार से भीतर के प्रकाश की ओर बढ़ने का पर्व है।

स्वामी जी ने कहा कि मार्कण्डेय पुराण में देवी महात्म्य और दुर्गा सप्तशती में माँ की महिमा एवं माँ दुर्गा द्वारा संहार किए गए दैत्यों वर्णन मिलता है। दुर्गा सप्तशती में बहुत ही दिव्य मंत्र हैं, उन्हें हम इस नौ दिवसीय नवरात्रि की यात्रा में स्मरण करें। नौ दिन के नौ अक्षरों में नवार्ण मंत्र के माध्यम से हम अपनी भीतर की शक्ति को पहचाने। बाहर शक्ति का पूजन और भीतर शक्ति का दर्शन करें क्योंकि नवरात्रि का पर्व शक्ति का पर्व, आत्म निरीक्षण का पर्व और भीतर की यात्रा का पर्व है।

वर्तमान समय में हमें शुंभ निशंभ जैसे प्राणी तो नहीं मिलेगे परन्तु उनसे भी विशाल अवगुण कई बार हमारे अपने स्वभाव में होते हैं जिसे हम देख नहीं पाते और कई बार इसे स्वीकार भी नहीं करते। इन नौ दिनों में आत्मावलोकन करें कि हमारे स्वभाव में कौन से अवगुण और बुराईयां है। अपने भीतर में जो आईनैस ओर माईनैस है उससे उपर उठने का पर्व है।

नवरात्रि केवल उपवास का नहीं बल्कि सहवास का पर्व है। उपवास माने प्रभु के निकट बैठने का पर्व और सहवास अर्थात परिवार के निकट रहना, परिवार के साथ रहना। नवरात्रि के अवसर पर अपने जीवन की बेलेन्ससीट बनाओ यही तो आत्म साधना और आत्मोत्कर्ष है। इन नौ दिनों में आत्मावलोकन करें कि हमारे स्वभाव में कौन से अवगुण और बुराइयां है। नवरात्रि के प्रथम दिन आत्म निरिक्षण करें और निर्मलता को धारण करें।

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