अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक 16 दिवसीय अभियान की शुरुआत
सभी महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानपूर्ण जीवन मिले
नारी ‘माँ’, शक्ति और ’सृजन का स्रोत है
“स्वामी चिदानन्द सरस्वती”
ऋषिकेश। अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस हर साल 25 नवंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना है।
इस वर्ष 25 नवम्बर से 10 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस तक 16 दिवसीय अभियान आयोजित किया गया है। क्योंकि हर 10 मिनट में एक महिला की हत्या कर दी जाती है। इस अभियान से जुडे़ं और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की भयावह स्थिति को जाने और अपनी जवाबदेही को समझे।
हिंसा न केवल महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को भी बाधित करती है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है जिसे पूरी दुनिया में समाप्त करने की आवश्यकता है।
हम सभी को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हर महिला और लड़की को एक सुरक्षित और सम्मानपूर्ण जीवन मिले। महिलाओं के प्रति हिंसा को समाप्त करने के लिए हमें न केवल कानून और नीतियों को सख्ती से लागू करना होगा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सामूहिक प्रयास भी करने होेंगे।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा है कि नारियों का सम्मान और उनके प्रति आदर समाज की समृद्धि और विकास का आधार है। उन्होंने कहा कि नारियों के प्रति हिंसा केवल एक व्यक्ति या परिवार की समस्या नहीं है, यह पूरी मानवता का अपमान है। कोई भी समाज तभी प्रगति कर सकता है, जब हम नारियों को ‘माँ’, ‘शक्ति’ और ’सृजन का स्रोत’ मानकर उनका सम्मान करें।
स्वामी जी ने कहा कि नारियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है, और यह तभी संभव है जब शिक्षा, जागरूकता और सामूहिक प्रयास हों।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा है कि नारियों का सम्मान और उनके प्रति आदर समाज की वास्तविक समृद्धि और विकास का आधार है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नारियों के प्रति हिंसा केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता का अपमान है। जब नारियों को उनकी सही पहचान और सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक समाज का पूर्ण विकास संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि, ‘नारी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि शक्ति का स्रोत, सृजन का आधार और समाज की रचनात्मक ऊर्जा हैं।’ यदि समाज को प्रगति के पथ पर अग्रसर करना है, तो हमें महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करते हुए उनके साथ सम्मान और समानता का व्यवहार करना होगा। स्वामी जी ने कहा है कि महिलाओं का सम्मान और उनके प्रति आदर समाज की समृद्धि और विकास का आधार है। जब तक महिलाओं को उनकी सही पहचान और सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक समाज का पूर्ण विकास संभव नहीं है।
स्वामी जी ने यह भी कहा कि महिलाओं के प्रति आदर और सम्मान का भाव सिर्फ एक आदर्श नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य है, जो हर व्यक्ति को निभाना चाहिए।
आइए, हम सब मिलकर नारियों के प्रति हिंसा उन्मूलन के लिए अपने संकल्प को दोहराएं। हमें एक ऐसा समाज बनाना है जहां हर महिला को सुरक्षा, सम्मान और समान अवसर मिले।
आइए, इस महत्वपूर्ण आंदोलन का हिस्सा बनें और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक समाज बनाने में योगदान दें।