विश्व अहिंसा समिट-2024 मुंबई में भव्य आयोजन
मुम्बई। मुंबई में विश्व अहिंसा समिट 2024 का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को आशीर्वाद एवं ‘वैश्विक शान्ति’ पर उद्बोधन हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।
विश्व अहिंसा समिट, भगवान महावीर के शान्तिदूतों का गुणानुवाद महोत्सव में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान महावीर के पंचशील के सिद्धान्तों की आज पूरे विश्व को आवश्यकता है।
राजकुमार वर्धमान ने युवावस्था में राज महलों के सुख को त्याग कर सन्यास ले लिया और सत्य की खोज में निकल पड़े। उन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या कर कैवल्य को प्राप्त करने के पश्चात पूरा जीवन समाज सुधार व समाज कल्याण में लगा दिया। वास्तव में आज का महोत्सव उनके और उनके शान्तिदूतों के गुणानुवाद का है।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी एवं संत स्थविर, गच्छाधिपति आचार्य श्री दौलतसागर सूरीश्वर जी जीवन पर्यंत समाज व प्राणीमात्र के लिये समर्पित रहे। हमारा देश सर्वधर्म सम्भाव के सिद्धान्तों को जीता है। हमारी संस्कृति, विश्व बंधुत्व, शान्ति और समरसता का संदेश देती है। हमारी परम्परा धर्म की परम्परा है। हमारे जीवन में धर्मगुरूओं का महत्वपूर्ण योगदान है। धर्म किसी भी व्यक्ति को धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से प्रभावित करता है। जैन धर्म का आधार “अहिंसा परमो धर्मः” है। जैन समाज उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण व जीव पर दया करो का संदेश देते हुये हमें जल, वायु, मृदा व जैवविविधता के संरक्षण हेतु मिलकर कार्य करना होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह समय केवल वस्त्रों पर नहीं बल्कि विचार व किरदार पर ध्यान देने का है। हमें समता, सद्भाव और समरसता के सूत्रों को लेकर आगे बढ़ना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि जब पूज्य विद्यासागर जी और पूज्य दौलतसागर जी जैसे महंत दुनिया आते हैं तब धरती पर बहार आती है। धरती पर मानवता बची रहे इसलिये दोनों महापुरूषों ने अद्भुत कार्य किया।
इस अवसर पर स्वामी जी ने अमेरिका में निर्मित हिन्दू जैन टेम्पल की स्थापना की और महाग्रंथ हिन्दूधर्म विश्वकोश की स्वर्णिम स्मृतियों को भी साझा किया।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में इस समाज में अगर कोई संकट है, तो वह है सोच का संकट है, और इस सोच के संकट को कम करने के लिये दोनों पूज्य संतों ने अद्भुत कार्य किये। दोनों पूज्य संत शुद्धि, बुद्धि और सिद्धि की त्रिवेणी थे।
स्वामी जी ने कहा कि यह समय महाभारत का नहीं बल्कि महान भारत का है, और इसके लिये हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। भारत देश इसलिये महान है, क्योंकि इस देश के पास हिमालय की ऊँचाई, गंगा माता की अविरल पवित्र धारा और सागर सी गहराई रखने वाले महापुरूष है। हमारे यशस्वी, तपस्वी और कर्मठ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने समाज को जोड़ने का कार्य किया। उनकी प्रत्येक श्वास समाज और अपने राष्ट्र को समर्पित है इसी परम्परा को हमें आगे बढ़ाना है।
मौलाना डा कल्बे रूसैद रिज़वी जी ने कहा कि जब जीवन में तलाश होती है, तब हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति को पूज्य धर्मगुरूओं की तरह अपनी सुगंध को प्रसारित करना होगा।
श्री केसी जैन जी ने अपनी भावाजंलि अर्पित करते हुये पूज्य स्वामी विद्यासागर जी के साथ बितायी स्मृतियों को याद करते हुये कहा, कि उनके द्वारा जिन कार्यों को शुरू किया गया, उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है।
स्वामी जी ने जैन संतों और विशिष्ट अतिथियों को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।