वसंत ऋतु हरियाली और खुशहाली का प्रतीक। वेलेंटाइन डे, नहीं “वसुधा पर्व” मनाये – स्वामी चिदानंद सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती और प्रसिद्ध उद्योगपति दिनेश शाहरा एवं भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने परमार्थ विद्या मन्दिर विद्यालय, चन्द्रेश्वर नगर में वेद मंत्रों का उच्चारण कर विद्यादायिनी माँ सरस्वती जी का पूजन किया। बसंतोत्सव के अवसर पर बच्चों ने अनेक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि वेलेंटाइन डे नहीं बल्कि आज वसुधा दिवस मनाने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति अपने मूल व मूल्यों के लिये विख्यात है, इसलिये आज का दिवस मातृ देवो भव:, पितृ देवो भव:, राष्ट्र देवो भव: के रूप में मनाएं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जब जीवन में बसंत आता है तो जीवन हरियाली व खुशहाली से भर जाता है। बसंत जीवन में मिलन की संस्कृति का संदेश देता है। यह मिलन ऊँच-नीच, भेदभाव, जातिवाद, लिंगभेद, आतंकवाद, नक्सलवाद के अंत का संदेश देता है।
स्वामी जी ने विद्यार्थियों को संदेश देते हुये कहा कि अपने प्यारे भारत में कुरीतियों का अंत हो। ‘बस अंत’ यही है ’सच्चा बसंत’। आप सभी के प्रयासों से ही कुरीतियों का अंत होगा तथा देश में सद्भाव व समरसता के संगम को बनाये रखेगा।
स्वामी जी ने कहा कि यह समय सारे वाद-विवाद से ऊपर उठकर अध्यात्मवाद की ओर बढने का है। सारे वाद-विवादों से दुनिया को मुक्त कराने का है। सनातन संस्कृति व अध्यात्म ही विश्व को सारे वाद-विवादों से मुक्ति दिला सकता है, और अध्यात्म ही एकजुटता को बरकरार रख सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि देवपूजा अपनी-अपनी करें, अपने-अपने धर्म का पालन करें, अपने-अपने सिद्धान्तों को मानें लेकिन राष्ट्रभक्ति सब मिलकर करे।
स्वामी जी ने कहा कि सनातन संस्कृति है तो सत्य, प्रेम और करूणा का संगम है। सभी के दिलों में सत्य, प्रेम और करूणा का संगम ही सच्चा बंसत है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्रदूषण एवं सिंगल यूज प्लास्टिक की ओर बच्चों का ध्यान आकर्षित करते हुये कहा कि पूजा और प्रदूषण साथ-साथ नहीं जाते इसलिये हम भीतर भी और बाहर भी प्रदूषण मुक्त होने का संकल्प करें। हम बंदगी तो करें परन्तु गंदगी से मुक्त होने का भी संकल्प ले। समाज में आज अनेक प्रकार की गंदगी विद्यमान है, उन सभी का अंत हो, बस, अंत हो, यही तो बंसत है।
उन्होने कहा कि आज बंसत पंचमी का स्नान सचमुच अद्भुत है। आज विद्या की देवी, विनम्रता की देवी सरस्वती जी का दिवस है। प्रार्थना करें कि विद्या की देवी, विनम्रता की देवी हम सभी को अज्ञान से मुक्त करे तथा हम सभी के अन्त: करण में विनम्रता का वास हो। ’’विद्या ददाति विनयम्।’’ ’’विद्या सा विमुक्तये’’।
जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि बसंत में पूरा वातावरण खिला-खिला हो जाता है, आप सभी का जीवन भी खिला-खिला रहे। उन्होंने बच्चों को प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित किया।
दिनेश शाहरा जी ने बच्चों को संदेश दिया कि आप मन लगाकर पढ़ाई करें, जो कर रहे हैं उसमें अपना श्रेष्ठ दें, कोध्र और अहंकार न करें। उन्होने कहा कि आप सभी इस देश के बेटे हैं, आप इस देश की विचार धारा को बचाये रखने का कार्य करें। इस देश की विचारधारा यदि आज जीवित है, तो वह संतों की कृपा से जीवित है। आप सभी सौभाग्यशाली हैं कि आपको पूज्य स्वामी जी का संरक्षण व आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। संत और बसंत का संगम अद्भुत है और जब हमारे जीवन में यह संगम होता है तो जीवन धन्य हो जाता है।
बसंतोत्सव के अवसर पर परमार्थ विद्या मन्दिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।