उत्तराखंड

विश्व तंबाकू निषेध दिवस जिन्दगी चुने- नशा नहीं- स्वामी चिदानंद सरस्वती

केवट भक्ति प्रसंग

प्रभु भक्तों के तारणहार – संत मुरलीधर

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आयोजित 34 दिवसीय श्री राम कथा के आज 17 वें दिन श्रीराम कथा व्यासपीठ पर विराजमान संत मुरलीधर जी ने आज केवट की भक्ति का प्रसंग सुनाया इस अवसर पर भक्तों को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य व उद्बोधन प्राप्त हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर नशा मुक्त जीवन जीने का संदेश देते हुये कहा कि जिन्दगी चुने-नशा नहीं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आजकल कई युवाओं में नशे की लत एक नई लहर की तरह बढ़ती जा रही है जिसके कारण उन्हें कई बार अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ता है। आजकल बच्चे, वयस्कों की तुलना में ई-सिगरेट, फ्लेवर्ड सिगरेट, गुटका, तम्बाकू आदि का उपयोग अधिक मात्रा में करने लगे हैं। वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर 13 से 15 वर्ष की आयु के लगभग 37 से 40 मिलियन अर्थात् लगभग चार करोड़ युवा तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं।

स्वामी जी ने कहा कि नशा, जिन्दगी नहीं बल्कि सजा है, कोई झूठ बेच रहा हैं, कि ये सुरक्षित है वो सेफ है ये आर्गेनिक सिगरेट है और पीने वाले उसके नकारात्मक प्रभावों से अनजान होकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। नशा केवल नाश करता है इसलिये अगर जीवन से है प्यार तो तम्बाकू का करो बहिष्कार और जिन्दगी चुनो तम्बाकू नहीं।

सिगरेट पीने वालों को लगता है कि मैंने सिगरेट सुलगायी है, परन्तु सच तो यह है सिगरेट आप को सुलगा रही है। सिगरेट हर पल, हर दिन आपके जीवन को बुझा रही है। भगवान ने तो हमें गिनती की साँसे दी हैं अब हमें देखना है कि हम उन सांसों को कैसे खो रहे हैं या सद्उपयोग कर रहे हैं।

मेडिकल रिसर्च में सामने आया है कि एक सिगरेट पीने से एक साँस कम हो जाती है, एक बीड़ी पीने से दो साँसे कम हो जाती है और एक पैकेट गुटका खाने से चार साँसे कम हो जाती है। दुनिया में जितने भी प्रकार के कैंसर हो रहे हैं उसमें 25 प्रतिशत का कारण तम्बाकू है। तम्बाकू और निकोटीन आपके मानसिक स्वास्थ्य, को भी नष्ट करता है और पर्यावरण के स्वास्थ्य के साथ – साथ नशा करने वाले युवाओं की कौशल क्षमता तथा योग्यता में भी इसके कारण प्रति दिन कमी आ रही है।

तम्बाकू हमारे युवा, भावी पीढ़ी और हमारी धरती दोनों के लिये भी नुकसान दायक है। तम्बाकू की खेती, उसका निर्माण और उसका उपयोग हमारे जल, मिट्टी, समुद्र तटों को प्रदूषित करने के साथ शहर की सड़कों को भी रसायनों, जहरीले कचरे, माइक्रोप्लास्टिक्स सहित सिगरेट के बट, बचे हुये टुकड़े आदि भी प्रदूषित कर रहे हैं।

सिगरेट जो पी रहा है वो तो नष्ट हो ही रहा है परन्तु जो आसपास होते हैं सिगरेट बीड़ी का धुंआ उनके स्वास्थ्य को भी नष्ट कर रहा है। कचरे को भी जहरीला बना रहा है। तम्बाकू का धुआँ वायु प्रदूषण को बढ़ा रहा है इसमें तीन प्रकार की ग्रीनहाउस गैसें होती हैं।जो बड़ी खतरनाक है जिससे ग्लोबल वार्मिंग भी हो रही है। अब आप को खुद तय करना है कि स्वयं को और अपनी धरती को बचाने के लिए तम्बाकू छोड़ें, जीवन जोड़े।

कथा व्यास संत मुरलीधर जी ने कहा कि भक्ति हो तो केवट जैसी। उन्होंने कहा कि प्रभु तो तारणहार है। प्रभु को तैरना आये या न आये परन्तु अपने भक्तों को भवसागर से तारणा आता है। उन्हेांने पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं। मोहि राम राउरि आन दसरथसपथ सब साची कहौं॥ बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं। तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥ छंन्द की व्याख्या करते हुये कहा कि हे नाथ! मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा, मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं सब सच-सच कहता हूँ। लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मारें, पर जब तक मैं पैरों को पखार न लूँगा, तब तक हे तुलसीदास के नाथ! हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा। कितनी अद्भुत भक्ति है कि प्रभु की सेवा करने में भले ही प्राण चले जाये परन्तु सेवा का सौभाग्य प्राप्त हो।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को नशा मुक्त जीवन जीने का संकल्प कराया।

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