उत्तराखंड

बिजली विभाग के कार्यालय में धरना देने के बाद यूकेडी की कोटद्वार महानगर इकाई ने मुख्यसचिव को ज्ञापन भेजा

कोटद्वार। उत्तराखंड क्रांति दल की महानगर कोटद्वार इकाई ने आज अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड कोटद्वार के कार्यालय में विद्युत दर बढ़ोतरी के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और अधिशासी अभियंता के माध्यम से मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार को ज्ञापन भेजा।

धरना प्रदर्शन का नेतृत्व यूकेडी के संरक्षक और मार्गदर्शक बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. शक्तिशैल कपरवाण ने किया। उन्होंने धरना स्थल पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य और केंद्र सरकार उत्तराखंड के निवासियों के जल विद्युत ऊर्जा संबंधी अधिकार पहले ही छीन चुकी है। टिहरी बांध और अनेक जल विद्युत योजनाओं से उत्तराखंड को मात्र 12 परसेंट की रॉयल्टी मिलती है, जो कि उत्तराखंड के निवासियों के साथ अन्याय है और उसके बाद दूसरी ओर उत्तराखंड के निवासियों के ऊपर असहनीय विद्युत दरों को बढ़ाकर आम जनमानुष को पीड़ित किया जा रहा है, यह सरकार का जनता के प्रति घोर अन्याय है ।

उन्होंने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ उत्तराखंड क्रांति दल लगातार धरना प्रदर्शन कर रहा है।

डॉ. शक्तिशैल कपरवाण ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  से उपभोक्ताओं की विद्युत कटौती बंद करने की मांग की तथा टिहरी बांध सहित सभी जल विद्युत परियोजनाओं में उत्तराखंड को 50% रॉयल्टी देने की मांग की जिससे उत्तराखंड में भी औद्योगिकीकरण में विद्युत की कमी न हो, और जनता को न्यूनतम दर पर बिजली मिले।

डॉक्टर कपरवाण ने कहा कि उपनल और ठेकेदारी प्रथा पर रखे गए कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है ,उन्हें वार्षिक बढ़ोतरी नहीं दी जाती है। 20 साल से काम कर रहे कर्मचारी को मात्र 18000 रुपया वेतन दिया जा रहा है। डॉ. कपरवाण ने राज्य के मुख्यमंत्री से मांग की कि उपनल और ठेकेदारी पर रखे गए कर्मचारियों का वेतन और भत्ते उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय के अनुसार दिया जाना चाहिए ।

धरना प्रदर्शन के बाद अधिशासी अभियंता वितरण को एक ज्ञापन दिया जिसमें विद्युत बढ़ोतरी को समाप्त करने सहित अन्य मांगों को रखा गया। ज्ञापन देने वालों में डॉ.शक्तिशैल कपरवाण ,महानगर अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत,महेंद्र सिंह रावत ,हरीश द्विवेदी, प्रवेश चंद्र नवानी ,सत्यपाल सिंह नेगी ,मुकेश बड़थ्वाल,भारत मोहन काला, सर्वेंद्र काला, विनोद चौधरी,मेहरबान सिंह नेगी ,सतपाल नेगी आदि थे।

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