उत्तराखंड

भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द करने की मांग को लेकर 26 नवंबर से भूख हड़ताल करेंगे मोहित डिमरी

निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग

देहरादून। मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी संविधान दिवस 26 नवंबर से शहीद स्मारक देहरादून में भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मजबूत भू-कानून को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। सरकार बजट सत्र में भू-कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन सरकार किस तरह का भू-कानून लाएगी, स्थिति स्पष्ट नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हर बार की तरह इस बात भी सरकार भू-माफिया के पक्ष में कानून ले आए।

उन्होंने कहा कि 2018 के बाद भूमि कानूनों में हुए सभी संशोधनो को अध्यादेश के जरिये रद्द किया जाय। भूमि कानून की धारा-2 को हटाया जाए। इस धारा की वजह से नगरीय क्षेत्रों में गांवों के शामिल होने से कृषि भूमि खत्म हो रही है। 400 से अधिक गांव नगरीय क्षेत्र में शामिल हुए हैं, और 50 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि को खुर्द-बुर्द करने का रास्ता खोल दिया गया। साथ ही भूमि कानून के बिल को विधानसभा में पारित करने से पूर्व इसके ड्राफ्ट को जनसमीक्षा के लिए सार्वजनिक किया जाए। निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा और इससे मिले रोजगार को सार्वजनिक किया जाय। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदी है, उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाय। उन्होंने यह भी कहा कि मूल निवासियों का चिन्हीकरण होना चाहिए और इस आधार पर 90% नौकरियों और सरकारी योजनाओं में मूल निवासियों की भागेदारी होनी चाहिए।

समिति के महासचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार भू कानून और मूल निवास पर अपनी मंशा साफ करे। मूल निवास की परिभाषा और भू कानून में हुए बदलावों पर सरकार तुरंत प्रभाव से कार्यवाही करे अन्यथा जनता इन मुद्दों पर समिति के नेतृत्व में सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने को कमर कस चुकी है।

महिला मंच की उपाध्यक्ष श्रीमती निर्मला बिष्ट ने कहा की राज्य आंदोलन में महिलाओं ने सर्वोच्च बलिदान देकर इस राज्य के सपने को साकार करने में अग्रणी भूमिका निभाई और अगर सरकार आंदोलनकारियों के अपेक्षाओं के अनुरूप भू कानून में हुए बदलावों को तुरंत प्रभाव से रद्द नहीं करती है तो महिलाएं समिति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरकार के विरुद्ध संघर्ष में शामिल रहेगी।

वरिष्ठ राज्य आंंदोहरी मोहन सिंह रावत ने कहा 42 शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देकर इस राज्य के निर्माण का सपना साकार किया, लेकिन आज राज्य की स्थिति बद से बदतर हो गई है। ज़मीन के कानून खुर्द बुर्द किये गए और मूल निवासियों के अधिकार छीने गए।

उन्होंने कहा कि सभी राज्य आंदोलनकारी समिति के साथ खड़े हैं और अगर जल्द ही सरकार ने भू कानून पर अपनी मंशा स्पष्ट नहीं की तो फिर इस भूख हड़ताल में राज्य निर्माण का एक-एक आंदोलनकारी शामिल रहेगा।

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