परमार्थ निकेतन में धूम धाम से मनाई गई भगवान धनवंतरी एवं कुबेर जयंती। गंगा आरती में संपूर्ण मानव जाति के समृद्धि और आरोग्य की कामना की गई
आयुर्वेद, मानवता के स्वास्थ्य और आरोग्य के लिये अनुपम उपहार
आयुर्वेद, मानवता की अमूल्य स्वास्थ्य परम्परा
स्वामी चिदानन्द सरस्वतीरा
जस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन गोपाल सपरिवार आये परमार्थ निकेतन
धनतेरस के पावन अवसर पर रूद्राक्ष का दिव्य पौधा किया भेंट
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज भगवान धन्वंतरि और समृद्धि के देवता कुबेर की जयंती व धनतेरस पर्व की शुभकामनायें देते हुये कहा कि स्वास्थ्य ही सच्ची समृद्धि और सर्वोच्च धन है। उन्होंने माँ गंगा के पावन तट, हिमालय की पवित्र धरती, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश से आरोग्य और समृद्धि का पर्व धनतेरस की अनंत शुभकामनाएँ देते हुये कहा कि आयुर्वेद के देवता, भगवान धन्वंतरि, जी और समृद्धि के देवता, भगवान कुबेर, की कृपा सदैव भारत पर बनी रहे। सभी के जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि का वास हो।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर कहा कि आयुर्वेद, हमारी चिकित्सा पद्धति नहीं जीवन पद्धति है; आयुर्वेद, मानवता के स्वास्थ्य और आरोग्य के लिये अनुपम उपहार है और आयुर्वेद मानवता की अमूल्य स्वास्थ्य परम्परा है।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य और प्रकृति के बीच गहरा संबंध है। आयुर्वेद हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाये रखने की प्रेरणा देता है। आयुर्वेद हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर स्वस्थ रहने की प्रेरणा प्रदान करता है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। बड़ी पुरानी कहावत है पहला सुख निरोगी काया अर्थात हैल्थ फस्ट, सबसे पहले स्वास्थ्य है। स्वस्थ जीवन शैली को अपनाये बिना लाइफ स्टाइल को चेंज किये बिना उत्तम स्वास्थ्य की कल्पना संभव नहीं और बिना उत्तम स्वास्थ्य के अन्य सभी सुख अधूरे हैं।
लक्ष्मी श्रीसूक्त में कहा गया है- धनमग्नि र्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु अग्नि धन है, वायु धन है, सूर्य धन है, जल धन है, इनका सम्मान करें, इनका संरक्षण करें और इसके लिये हमें ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर की ओर जाना होगा, ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर की ओर जाना होगा। यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़ना होगा ताकि प्रकृति, संस्कृति व संतति तीनों का संरक्षण व संवर्द्धन हो सके।
स्वामी जी कहा कि आज धनतेरस का दिन भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है। इसे समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना गया है। भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के देवता हैं, आज के ही दिन अवतरित हुए थे और उन्होंने मानवता को आरोग्य और चिकित्सा का उपहार प्रदान किया था। इस दिन भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, जिससे परिवार, समाज व राष्ट्र में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन गोपाल ने कहा कि उत्तराखंड की दिव्य धरती पर आना बड़े ही सौभाग्य की बात है। बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम की यात्रा के पश्चात पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में परमार्थ निकेतन गंगा आरती करने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ। परमार्थ निकेतन आकर हमारी यात्रा पूर्ण हो गयी। दिव्यता की सुगंध से युक्त इस दिव्य वातावरण में चारों ओर संस्कारों और संस्कृति की महक व्याप्त है। यहां पर रात्रि विश्राम कर ऐसा लगा मानों आत्मा तृप्त हो गयी। यह पूरा वातावरण मन को आनंद प्रदान करने वाला है, जीवन को नई ऊर्जा व उल्लास से भरने वाला है।
आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सम्पूर्ण मानवता के उत्तम स्वास्थ्य व समृद्धि हेतु विशेष प्रार्थना की गयी।